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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।

अथवा
गोदान की समस्याओं में आपको मुख्य समस्या कौन सी लगती है? और क्यों? सतर्क विवेचन प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
"प्रेमचन्द कृत 'गोदान' में चर्चित समस्याओं का चित्रण किया गया है।" समीक्षा कीजिए।

उत्तर -

मुंशी प्रेमचन्द जी ने अपने उपन्यास "गोदान" में जो कृषक जीवन का चित्र अंकित किया है चो सच्चा एवं दर्पण के समान है जिसमें उस समय की जनता ने ही अपना प्रतिबिम्ब नहीं देखा बल्कि आज की जनता भी अपना रूप निहार रही है।

अर्थात् गोदान कृषक जीवन का सच्चा आइना है जो उस समय से लेकर आज तक की हमारी सामाजिक व्यवस्था की सच्चाई का वर्णन कर रही है। गोदान में कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है यह बात पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाती है।

उपरोक्त प्रश्न का स्पष्ट रूप से उत्तर प्राप्त करने के लिए हमें निम्न तथ्यों को स्पष्ट करना होगा।

कृषक जीवन की समस्यायें

कृषक जीवन की जो समस्यायें लेखक के काल में प्रचलित थी वहीं समस्यायें आज भी भारतीय किसान को घेरे हुए हैं। आज भी भारतीय किसान इन समस्यायों से मुक्त नहीं हो पाया है।

1. तलाक की समस्या - भारतीय कृषक की यह समस्या सबसे महत्वपूर्ण समस्या है। प्रेमचन्द के साहित्य में यह एक प्रसंग अधिक दृष्टिगोचर होता है गोदान में रायसाहब अमरपालसिंह की पुत्री मीनाक्षी पति के दुराचार के कारण उससे सम्बन्ध-विच्छेद कर लेता है और साथ ही गुजारे का भी दावा कर देती है।

इस सम्बन्ध में प्रेमचन्द लिखते हैं कि - "गुजारे की मीनाक्षी को जरूरत न थी, मौके में वह बड़े आराम से रह सकती थी, मगर वह दिग्विजय सिंह के मुँह में कालिख लगाकर वह यहाँ से जाना चाहती थी।:

इस तलाक के बाद पति-पत्नी एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं मीनाक्षी और दिग्विजय सिंह के सम्बन्ध-विच्छेद के माध्यम से प्रेमचन्द यह दिखाना चाहते हैं कि पति के अत्याचार से पीड़ित होकर पत्नी अगर तलाक का आश्रय लेने के लिए विवश हो जाय तो भी शान्ति नहीं मिल सकती, क्योंकि प्रतिकार और प्रतिशोध की भावना दाम्पत्य जीवन को कटु से कटुतर बना देती है।

वर्तमान रूप इस समस्या का वर्तमान रूप भी यही सामने आया जो रूप प्रस्तुत उपन्यास में मुंशी प्रेमचन्द जी ने प्रस्तुत किया था आज वैज्ञानिक एवं शिक्षित युग होने के बाद भी हमारी इस समस्या के समाधान का रूप जरा भी नहीं बदला है। आज भी तलाक और दावे उसी प्रकार सामने आ रहे हैं जिस प्रकार अशिक्षित एवं प्राचीन समय में दृष्टिगोचर होते थे। अतः हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।

2. वेश्या वृत्ति की समस्या- भारतीय कृषकों में यह वृत्ति अधिक पायी जाती है। मुंशी प्रेमचन्द के उपन्यासों में वेश्यावृत्ति अधिक पायी जाती है। इस वेश्यावृत्ति को अपनाने के दो कारण हमारे सामने आते हैं -

(1) आर्थिक कठिनता
(2) सम्मान का अभाव।

डॉ. मेहता और मिर्जा साहब के बीच इसी बात पर बहस होती है। मिर्जा साहब कहते हैं - "रूप के बाजार में वहीं स्त्रियाँ आती हैं, जिन्हें या तो अपने घर में किसी कारण से सम्मान पूर्ण आश्रय नहीं मिलता या तो जो आर्थिक कृष्टों से मजबूर हो जाती हैं।' पर मेहता इसका विरोध करते हुए कहते हैं कि - "मुख्यतः मन के संस्कार और भोग लालसा ही औरतों को इस ओर खींचती है रोज़ी के लिए और बहुत से जरिए हैं ऐश की भूख रोटियों से नहीं जाती उसके लिए दुनियाँ के अच्छे-अच्छे पदार्थ चाहिए।'

मिर्जा मियाँ जोर देकर कहते हैं - "अरे मैं कहता हूँ कि यह महज रोजी का सवाल है। हाँ यह सवाल सभी आदमियों के लिए एक सा नहीं है मजदूर के लिए वह महज आटे, चावल और एक फूँस की झोपड़ी का सवाल है एक वकील के लिए वह एक कार, बंगले और मतमारों का सवाल है। आदमी महज रोटी नहीं चाहता और भी बहुत सी चीजें चाहता है अगर औरतों के सामने भी वह प्रश्न तरह-तरह की सूरतों में आता है, तो उनका क्या कसूर है।

वर्तमान रूप - इस समस्या का वर्तमान रूप भी हमारे सामने हैं परन्तु इस रूप में वैज्ञानिकता एवं आधुनिकता पायी जाती है जो कार्य पहले कोठों पर हुआ करता था वहाँ कार्य आज आधुनिकी तरह से बड़े-बड़े होटलों एवं सार्वजनिक स्थलों पर पाया जा रहा है।

आज का समाज प्रेमचन्द के समय के बनाए पत्र आधुनिकता लिए हुए आज कार्य बुद्धिमता पूर्ण किया जाता है यही कारण है कि वेश्यावृत्ति में भी बुद्धिमता एवं वैज्ञानिकता एवं आधुनिकता पायी जा रही है।

अतः स्पष्ट रूप से हम कह सकते हैं कि गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।

(3) औद्योगिक समस्या - औद्योगीकरण से पूँजीवादी मनोवृत्ति का उदय होता है। देश का सारा धन थोड़े से पूँजीपतियों के हाथ में एकत्र हो जाता है। प्रेमचन्द औद्योगिक सभ्यता के इन परिणामों से पूर्णतया परिचित थे "गोदान" का चन्द्र प्रकाश खन्ना बजट में शक्कर पर ड्यूटी लगने पर अपनी आमदनी में होने वाली कमी को मजदूरों की मजदूरी घटाकर पूरा करना चाहता है। मजूदरों की मजदूरी की समस्या को लेकर खन्ना और प्रोफेसर मेहता के बीच विचार-विमर्श होता है। और इसी सिलसिले में मेहता मजदूरों के जीवन पर इन शब्दों में प्रकाश डालते हैं।

"मजदूर बिलों में रहते हैं, गन्दे, बदबूदार बिलों में- जहाँ आप एक मिनट भी रह जायँ तो आपको कै हो जाय। कपड़े जो वह पहनते हैं उनसे आप अपने जूते भी न पोछेंगे। खाना जो वह खाते हैं। वह आपका कुत्ता भी न खाये।"

इससे सिद्ध होता है कि बड़ी-बड़ी मिलों के मजदूरों को पशुवत जीवन बिताना पड़ता है और उनकी गाढ़ी कमाई से देश के थोड़े से पूँजीपति दिन-प्रतिदिन समृद्धिशाली बनते जाते हैं प्रेमचन्द साहित्य में मजदूर-पूँजीपति के संघर्ष का चित्रण तो हुआ है, पर मजदूरों की राजनीति चेतना का चित्रण नहीं है।

गोदान में मजदूरों की राजनीतिक चेतना का संकेत मात्रा है गोबर शहर में आकर मजदूरी करने लगता है। शहर में नित्य सभायें होती हैं जिससे गोबर को भी राजनीति का थोड़ा ज्ञान हो जाता है।

वर्तमान रूप - औद्योगीकरण से पूँजीवादी मनोवृत्ति का जन्म होता है देश का सारा धन थोड़े से पूँजीवादियों के हाथ में एकत्र हो जाता है। यह समस्या प्राचीन समस्या से आज तक पायी जाती है बस इस समस्या के विकास का रूप बदला है लेकिन इसका गति या प्रगति का रुकना नहीं हुआ है। अतः हम कह सकते हैं कि गोदान में कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी सामाजिक व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है जिससे मुँह नहीं फेरा जा सकता है।

(4) किसान, जमींदार समस्या- समस्या के एक छोर पर किसान है दूसरे छोर पर जमींदार। परिस्थितियों की अनिवार्य गति में जमींदार देख रहे हैं कि उनकी जमीन पैरों तले से खिसकती जा रही है। यद्यपि ये जमीदार अपने-आपको समय के अधिक से अधिक अनुकूल बनाने के प्रयत्न में सचेष्टता से लगे हुए हैं। बदला हुआ युग महाजनों का है, जो गाँव के किसानों और शहरों में जमींदारों को खोखला बनाये जा रहे हैं। सामन्ती व्यवस्था ने तब भी एक सीमा है लेकिन पूँजीवादी व्यवस्था, महाजनी सभ्यता तो ऐसी है जिसमें की गरीब और अधिक गरीब तथा अमीर और अधिक अमीर होता जाता है इस व्यवस्था के दो स्पष्ट प्रतीक खन्ना और तनखा है।

वर्तमान रूप - कल भी यही व्यवस्था यही रूप एवं लोगों के यही हाव-भाव था जो आज भी समाज के सामने देखने में आया है। मुंशी प्रेमचन्द ने कृषक और जीवन का जो चित्र खींचा था आज भी वही व्यवस्था पूर्ण रूप से पायी जा रही है पर इसके रूप में परिवर्तन पाया जा रहा है।

धर्म का ढकोसला - प्रेमचन्द ने परम्परागत धर्म की अपने उपन्यासों में स्थान-स्थान पर खूब धज्जियाँ उड़ाई हैं। इसके लिए उन्होंने व्यंग्य के जबर्दस्त शस्त्र का प्रयोग किया है। इस व्यंग्य के मूल में घृणा है। गोदान में प्रेमचन्द जी ने धार्मिक पाखंड की गिन-गिन कर कड़िया तोड़ी हैं।

वर्तमान रूप जिस प्रकार से प्रेमचन्द के समय धार्मिक पाखंड की गिन-गिन कर कड़ियों तोड़ी गयी हैं उसी प्रकार आज भी अनेक कलाकार एवं लेखक भी धर्म के ढकोसलों का मजाक बनाया करते हैं। बस इनके मजाक में आधुनिकता पायी जाती है।

अतः निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि गोदान में कृषकों के जीवन का जो रुचि वर्णन किया गया है वही वर्णन आज भी हमको देखने को मिलता है पर इसके रूप में कुछ बदलाव देखने को अवश्य मिलता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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